पंचतत्व और शरीर के दोष

पंचतत्व से निर्मित शरीर के जब तत्व बिगड़ता है तो कौन सा दोष उत्पन्न होता है? आज यहॉ मात्र इसको ही समझ लेते हैं क्योंकि ये विषय बहुत विकराल है और अध्यात्म विज्ञान के साथ जुड़ा हुआ है

2/22/20241 min read

five elements of body
five elements of body

पंचतत्व से निर्मित शरीर के जब तत्व बिगड़ता है तो कौन सा दोष उत्पन्न होता है? आज यहॉ मात्र इसको ही समझ लेते हैं क्योंकि ये विषय बहुत विकराल है और अध्यात्म विज्ञान के साथ जुड़ा हुआ है जो वैदिक गणित को सम्पूर्ण समझने के पश्चात् भी अधूरा सा लगता है।

पृथ्वी तत्‍वमानव शरीर में अस्थि, त्‍वचा, मासपेशियां, नाखून, बाल का प्रतिनिधत्‍व करता है। पृथ्वी तत्‍व मानव शरीर में घुटनों प्रतिनिधत्‍व करता है अत: घुटनों ही मनुष्‍य के जड सबसे पहले होते है तथा सारे ही शरीर के ठोस भाग को संचालित करने का कार्य पृथ्वी तत्‍व ही करता है।

जल तत्‍वमानव शरीर में रक्‍त, मल, मूत्र, मज्‍जा, पसीना, कफ, लार का प्रतिनिधत्‍व करता है। जल तत्‍व मानव शरीर में जो पानी से सम्‍बन्‍ध रखता है वो जल तत्‍व के आधीन होता है, जल तत्‍व को मुख्‍यतः शरीर के ऊर्जा संचालन का कारक माना जाता है।

अग्नि तत्‍वमानव शरीर में पाचन क्रिया, ताप, देह की ऊष्‍मा, ज्वर, प्रकाश, दृष्‍टि का प्रतिनिधत्‍व करता है। अग्नि तत्‍व शरीर के ऊर्जा संचालन का मुख्‍य स्रोत होता है और शरीर के पाचन क्रिया को संचालित करता है।

वायु तत्‍वमानव शरीर में श्वसन, दमन, प्राण, वात, आवाज, स्पर्श का प्रतिनिधत्‍व करता है। वायु तत्‍व मानव शरीर में श्वसन प्रणाली को संचालित करता है और शरीर की ऊर्जा को संचालित करने में मदद करता है।

आकाश तत्‍वमानव शरीर में आवेग, विचार, बुद्धि, ज्ञान, आत्‍मा का प्रतिनिधत्‍व करता है। आकाश तत्‍व मानव शरीर में स्‍वयं के आत्‍मा का आवेग और बुद्धि को संचालित करता है।

जब इन पंचतत्वों में से कोई भी तत्‍व असंतुलित हो जाता है, तो शरीर में दोष उत्पन्न होता है। यह दोष शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर प्रभाव डाल सकता है। इसलिए हमें अपने शरीर के पंचतत्वों का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।

इसके लिए हमें स्वस्थ आहार लेना, नियमित व्यायाम करना, ध्यान और योग का अभ्यास करना चाहिए। साथ ही, अपने मन को शांत और स्थिर रखने के लिए ध्यान और मेडिटेशन का प्रयास करना चाहिए।

इस प्रकार, पंचतत्व और उनके संतुलन का महत्व हमारे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमें अपने शरीर के तत्वों के संतुलन का ध्यान रखना चाहिए ताकि हम स्वस्थ और समृद्ध जीवन जी सकें।